केरल में पिछले दो महीनों में Amoebic Meningoencephalitis से होने वाली ये तीसरी मौत है. ये रेयर ब्रेन इन्फेक्शन Naegleria fowleri नाम के अमीबा से होता है.
केरल में एक 14 साल के बच्चे की अमीबा से होने वाले दिमागी संक्रमण (Brain Infection) के कारण मौत हो गई. ब्रेन इन्फेक्शन करने वाले इस अमीबा का नाम नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) है. इसे बोलचाल में ‘ब्रेन ईटिंग अमीबा (brain-eating amoeba)’ यानी ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ कहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि दिमाग में जाकर ये अमीबा ब्रेन टिश्यूज यानी ऊतकों को नष्ट कर देता है. इस अमीबा से होने वाले इन्फेक्शन को ‘अमीबिक मेनिंगोइन्सेफ्लाइटिस’ कहते हैं.
बीते दो महीनों में 3 बच्चों की मौत
केरल में इस ब्रेन इन्फेक्शन के कारण जिस बच्चे की मौत हुई है, उसका नाम मृदुल था. बताया जा रहा है कि बच्चे को ये संक्रमण एक तालाब में तैरने के कारण हुआ था. उसे 24 जून को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था. न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के स्वास्थ्य विभाग ने 4 जुलाई को बच्चे की मौत होने की जानकारी दी.
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, कोड़िकोड के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में 3 जुलाई की रात करीब 11:20 बजे मृदुल की मौत हो गई. केरल में बीते दो महीनों में अमीबिक मेनिंगोइन्सेफ्लाइटिस से होने वाली ये तीसरी मौत है. इससे पहले 21 मई को मलप्पुरम की एक 5 साल की बच्ची और 25 जून को कन्नूर की एक 13 साल की लड़की की इस दुर्लभ संक्रमण के कारण मौत हुई थी.
केरल स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने लोगों को 'अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस' को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी है. इससे पहले ये बीमारी 2023 और 2017 में राज्य के तटीय आलप्पुझा जिले में देखी गई थी. ब्रेन ईटिंग अमीबा का संक्रमण कैसे होता है?
दिमाग खाने वाला अमीबा!
अमीबिक मेनिंगोइन्सेफ्लाइटिस नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) नाम के अमीबा के कारण होता है. इसे ब्रेन ईटिंग अमीबा भी कहते हैं. ये मिट्टी, तालाब और झीलों जैसे पानी के स्रोतों में पाया जाता है. ये अमीबा 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान में रहता है और 45 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकता है.
Amoebic Meningoencephalitis एक रेयर यानी दुर्लभ इन्फेक्शन है. इसके मामले आमतौर पर जुलाई से सितंबर के बीच पाए जाते हैं, जब मौसम गर्म होता है. इससे संक्रमण के ज्यादातर मामले तालाब या जलाशयों में नहाने के कारण पाए गए हैं.
ये अमीबा वॉटर एक्टिविटीज के दौरान नाक के रास्ते दिमाग में पहुंच सकता है. ऐसा तब हो सकता है, जब कोई इस अमीबा वाले पानी में तैरे या डुबकी लगाए. अब तक इसके ड्रॉपलेट से फैलने का सबूत नहीं है यानी इंसानों से इंसानों में इसका संक्रमण नहीं पाया गया है.
इसके संक्रमण से दिमाग के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है. अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, इस संक्रमण में दिमाग के ऊतक नष्ट होने लगते है. दिमाग में सूजन आ जाती है और मरीज की मौत हो जाती है.
Amoebic Meningoencephalitis के लक्षण
संक्रमण के 1 से 12 दिनों में इसके लक्षण नजर आ सकते हैं. इसके शुरुआती लक्षणों में सिर दर्द, बुखार, मिचली या उल्टी हो सकती है. इसके बाद गर्दन में अकड़न, भ्रम हो जाना, किसी चीज पर ध्यान न दे पाना, दौरा या कोमा तक की स्थिति आ सकती है.
लक्षण शुरू होने के बाद, ये बीमारी बहुत तेजी से बढ़ती है. आमतौर पर लगभग 5 दिन के अंदर मरीज की मौत होने का खतरा रहता है. कुछ मामलों में 1 दिन से 18 दिन के बीच भी मरीज की मौत होने की बात सामने आई है.
इस तरह के संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि ठहरे हुए पानी के स्रोतों में गतिविधियां सीमित की जाएं. स्वीमिंग के लिए साफ-सुथरे पूल का ही इस्तेमाल किया जाए. थीम पार्क और स्विमिंग पूल के पानी को साफ रखने के लिए उसमें उचित क्लोरीन मिलाया जाना चाहिए.
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