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जरूरत से ज्यादा दलिया खाने से पेट में बनेगी गैस: आटा-दलिया- सूजी हेल्दी; मैदा शुगर बढ़ाए

गेहूं का दलिया, आटा और सूजी सेहत के लिए इतना फायेदेमंद है तो गेहूं से ही बना मैदा नुकसानदेह कैसे हो सकता है?


सबसे मोटा दलिया, उससे छोटी सूजी, सबसे बारीक आटा और उससे भी बारीक और चिकना मैदा । लेकिन इन सब चीजों में इतना फर्क कैसे? 'जान जहान' में इसके बारे में एक-एक करके यूनानी डॉ. सुबास राय से जानते हैं।


आटे में न्यूट्रिशन भरपूर रहता है


आटा बनाने के लिए गेहूं की ऊपरी परत को नहीं हटाया जाता है। गेहूं को छिलके समेत पीसते हैं। आटे में गेहूं की ऊपरी परत या जिसे चोकर कहा जाता है वह मिली होती है। गेहूं का सबसे ज्यादा न्यूट्रिशन चोकर में ही होता है।


गेहूं का चोकर फाइबर से भरपूर है जिसे सैल्यूलोज कहते हैं। इसमें कैल्शियम, सिली- नियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस, विटामिन ई, बी कॉम्प्लेक्स पाए जाते हैं।


दलिया और सूजी को पचाना आसान


दलिया, सूजी और मैदा बनाने के लिए सबसे पहले गेहूं का छिलका उतार लिया जाता है। छिलके उतारा गेहूं मोटा दरदरा पीसा जाता है जिसे दलिया कहते हैं। दलिया में चोकर बिल्कुल भी नहीं होता। इसलिए दलिया आटे के बजाय जल्दी हजम होता है। इसलिए छोटे बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों को दलिया खिलाया जाता है।


दलिए में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन की भरपूर मात्रा होती है। इसलिए दलिया को सबसे पौष्टिक माना जाता है। सूजी बनाने के लिए छीलके उतरे गेहूं को दलिए से थोड़ा बारीक दरदरा पीसते हैं। सूजी और दलिए की पौष्टिकता लगभग बराबर ही होती है। सूजी का हलवा, मिठाई बनाने के लिए ज्यादा काम में लिया जाता है।


आंतों में चिपकता है मैदा


मैदा बनाने के लिए छिलके उतरे गेहूं को बहुत महीन बारीक पीसा जाता है। इतनी बारीक पिसाई करने से गेंहू के सारे न्यूट्रिशन नष्ट हो जाते हैं। ज्यादा सफेदी और चमक लाने के लिए गेहूं को पीसने के बाद हानिकारक केमिकल्स से ब्लीच भी किया जाता है जिसके बाद मैदा तैयार होता है।


आंतों में चिपकता है मैदा


मैदा बनाने के लिए छिलके उतरे गेहूं को बहुत महीन बारीक पीसा जाता है। इतनी बारीक पिसाई करने से गेंहू के सारे न्यूट्रिशन नष्ट हो जाते हैं। ज्यादा सफेदी और चमक लाने के लिए गेहूं को पीसने के बाद हानिकारक केमिकल्स से ब्लीच भी किया जाता है जिसके बाद मैदा तैयार होता है।


कैल्शियम पेरोक्साइड, क्लोरीन, क्लोरीन डाइऑक्साइड जैसे ब्लीचिंग एजेंट का इस्तेमाल मैदे को ब्लीच करने के लिए होता है। इन केमिकल्स का सेहत पर बुरा असर पड़ता है। बहुत बारीक होने की वजह से मैदा आंतों पर चिपक जाता है। इसलिए मैदा को नुकसानदायक माना गया है।

गंभीर बीमारी का शिकार बना सकता है मैदा


डॉ. राय की मानें तो मैदा में ज्यादा स्टार्च होने की वजह से मोटापा बढ़ता है। बिजी लाइफ में ज्यादातर लोग नाश्ते में ब्रेड खाना पसंद करते हैं।


मैदे का पराठा, पूरी, कुल्चा और नान भी लोग खूब शौक से खाते हैं। पिज्जा, बर्गर, मोमोज, बिस्किट बनाने के लिए भी मैदे का ही इस्तेमाल किया जाता है, जो कि सेहत के लिए अच्छा नहीं है।


नुकसानदायक है मैदा


डॉ. राय कहते हैं डाइटरी फाइबर की कमी की वजह से


मैदा बहुत चिकना और महीन हो जाता है, जिससे आंतों


में यह चिपकने लगता है। इस वजह से कब्ज की समस्या


भी हो सकती है और बदहजमी की भी वजह बनता है।


कोलेस्ट्रॉल बढ़ाएः मैदा में बहुत ज्यादा स्टार्च होता है, जिसे खाने से मोटापा बढ़ता है जो धीरे-धीरे बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता है। अगर वजन कम करना है और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखना है तो मैदा खाने से बचें।

कमजोर हड्डियां: आटे से बना मैदा एक ऐसे प्रोसेस से


गुजरता है जिससे गेंहू का सारा प्रोटीन खत्म हो जाता है और यही एसिडिटी की वजह बनता है। हड्डियों से कैल्शियम कम होता है और हड्डियां कमजोर होती हैं।


• ब्लड शुगर लेवल बढ़ाए: मैदा ब्लड शुगर लेवल बढ़ाता है, जिसकी वजह से खून में ग्लूकोज़ जमने लगता है जो शरीर में केमिकल रिएक्शन का कारण बनता है। जिससे कैटरैक्ट से लेकर गठिया और हार्ट की बीमारियां होने का खतरा मंडराने लगता है।


दलिया और ओट्स में क्या हेल्दी ?


दलिया ओट्स की तुलना में ज्यादा हेल्दी है जो ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में कभी भी खाया जा सकता है। इसी तरह ओट्स भी सेहत के लिए अच्छे होते हैं और दिनभर की किसी भी खुराक में शामिल हो सकता है।


ओट्स के फायदेः ओट्स, वैज्ञानिक रूप से अवेना स्टिवा के रूप में जाना जाता है, इसमें कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले गुणों के कारण दुनिया भर में नाश्ता के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह ब्लड शुगर को बैलेंस करने और लोगों को डिप्रेशन से दूर रखने में मदद करता है।


दलिया के फायदे


टूटे हुए गेहूं के साथ बनाया गया, दलिया पचाने में आसान होता है। यह फाइबर में समृद्ध है और वजन घटाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। दलिए की रेसिपी इसे टेस्टी बनाती हैं।


ओट्स और दलिया में क्या होता है?


दलिया में मौजूद पोषक तत्व थियामिन, जिंक, सेलेनियम, नियासिन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, फोलेट, कॉपर, सोडियम, पोटैशियम, डाइट फाइबर, आयरन, मैंगनीज, राइबोफ्लेविन और हैं, जबकि ओट्स में मैक्रोन्यूट्रिएंट फैट, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, जिंक मौजूद होते हैं।


काला गेहूं खाएं बीमारियां दूर भगाएं


काले गेहूं से कई बीमारियों को रोका जा सकता है। साथ ही काले गेहूं की इस किस्म पर मोहाली में स्थित एनएबीआई के वैज्ञानिक रिसर्च भी कर रहे हैं।


इसमें एंथोसायनिन प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट हैं, जो ब्लू बेरीज और एल्डर बेरीज फलों में पाया जाता है। यह बॉडी से हानिकारक रेडिकल्स को निकालता है। मोटापे, दिल की बीमारी, डायबिटीज और बुढ़ापे की रोकथाम करता है। इसमें नार्मल गेहूं के मुकाबले जिंक और आयरन की मात्रा भी ज्यादा है।


डिस्क्लेमर - इस लेख में मौजूद सूचनाओं को एक्सपर्ट की सलाह से लिखा गया है। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह लें।

 
 
 

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